हिमाचल रेडर न्यूज़ नेटवर्क। हिमाचल सरकार ने लंपी रोग को महामारी घोषित कर दिया है। किन्नौर, चंबा और लाहौल-स्पीति को छोड़कर नौ जिलों में इस त्वचा रोग को महामारी घोषित किया गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन जिलों में 6,300 पशु संक्रमित हो गए हैं। 150 करीब पशु अब तक दम तोड़ चुके हैं। शुक्रवार को 756 नए पशु संक्रमित हुए हैं।
हिमाचल में यह बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। बीमारी पर काबू पाने के लिए टास्क फोर्स गठित की है जो सूचना मिलने पर मौके पर जाकर पशुओं का इलाज कर रही है। मदद को लेकर मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं।
पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वैक्सीन खरीदने के लिए जारी की 12 लाख की राशि जारी की है। इसके अलावा जिलों को भी दवाइयां खरीदने के निर्देश दिए गए हैं।
अब तक हिमाचल प्रदेश में 27,831 से ज्यादा गायों को वैक्सीन लगाई गई है। प्रभावित जिलों में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें बनाई गई हैं।
पांच किलोमीटर के दायरे में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से गांव-गांव में डॉक्टरों की टीमें भेजी जा रही हैं। पशुपालकों को बीमारी के बारे में अवगत करवाया जा रहा है।
लंपी त्वचा रोग से मरे पशुओं का मुआवजा
सरकार लंपी त्वचा रोग से मरे पशुओं का मुआवजा प्राकृतिक आपदा कोष से देगी। पशुपालकों को पशु चिकित्सक का प्रमाणपत्र संलग्न कर मुआवजे के लिए दावा करना होगा।
पशु चिकित्सक की यह रिपोर्ट लगानी अनिवार्य होगी कि पशु की मौत लंपी त्वचा रोग के कारण हुई है। सरकार ने पहले ही वायरस से मरे पशुओं के मालिकों 30,000 रुपये की राहत राशि देने की घोषणा कर रखी है।
पशुपालकों को मुआवजा लेने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज क्षेत्र से संबंधित उपमंडलाधिकारी के पास मुआवजे लिए भेजना होंगे। एसडीएम ही ऐसे पशुपालकों को मुआवजा राशि भी जारी करेंगे।