हिमाचल रेडर न्यूज नेटवर्क। संयुक्त किसान मंच का बुधवार से किसानों और बागवानों का जेल भरो आंदोलन शुरू होने जा रहा है। राजधानी शिमला से इसका आगाज किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कई बड़े किसान और बागवान नेता खुद बुधवार को मांगों को लेकर गिरफ्तारियां देंगे।
20 सूत्रीय मांग पत्र की अनदेखी से नाराज संयुक्त किसान मंच ने सरकार को 1987 और 1990 की तर्ज पर आंदोलन की चेतावनी दी है। मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने कहा है कि 1987 के किसान-बागवान आंदोलन के बाद वीरभद्र सिंह अगली बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे।
1990 के आंदोलन के बाद शांता कुमार दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। इस बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर किसानों और बागवानों की नाराजगी मोल ले रहे हैं। 28 जुलाई को हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने संयुक्त किसान मंच की सभी मांगों को जायज करार दिया था और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर सभी मांगें हल करने का आश्वासन दिया था।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनी लेकिन किसान बागवानों को सदस्य नहीं बनाया गया। सरकार भ्रम फैलाने के लिए घोषणाएं कर रही हैं। निजी कंपनियों के सेब खरीद रेट तय करने के लिए मुख्य सचिव ने नौणी विश्वविद्यालय के वीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की घोषणा की लेकिन कमेटी गठित करने से पहले ही अडाणी सहित अन्य कंपनियों ने रेट घोषित कर दिए।
सरकार कॉरपोरेट घरानों के आगे नतमस्तक हो गई है। किसान बागवानों के हितों को ताक पर रख दिया गया है। अडाणी के इशारों पर सरकार काम कर रही है। सरकार की लापरवाही की नींद तोड़ने के लिए जेल भरो आंदोलन शिमला से शुरू किया जा रहा है। जब तक मांगे पूरी नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा।