
हिमाचल रेडर न्यूज नेटवर्क। हिमाचल में महिलाओं महिलाओं को 50 फीसदी बस किराये में छूट देने के सरकार के फैसले पर अब प्रदेश हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने निजी बस ऑपरेटरों की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने महिलाओं के उत्थान में सरकार के इस निर्णय को सही ठहराया है।
खंडपीठ ने कहा कि सरकार के बजट का एक छोटा सा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों को पढ़ने में मददगार होगा। पैसों की कमी से ग्रामीण क्षेत्रों की कुछ लड़कियां स्कूल छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं।
कोर्ट ने कहा कि समाज के किसी विशेष वर्ग को रियायत देना सरकार का पॉलिसी निर्णय है। ऐसे निर्णय निरस्त करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के खिलाफ है।
महिलाओं और बच्चों को बसों में रियायत देने का निर्णय अकेले हिमाचल सरकार ने ही नहीं लिया है। नारी सशक्तिकरण के लिए इससे पहले देश के कई राज्यों ने ऐसी योजनाएं बनाई हैं।
निजी बस ऑपरेटर रमेश कमल ने आरोप लगाया था कि सरकार की ओर से 7 जून 2022 को जारी अधिसूचना कानून के सिद्धांतों के विपरीत है। महिलाओं और पुरुषों के लिए बराबर किराया होना चाहिए।
सचिव परिवहन व निदेशक परिवहन ने दलील दी थी कि महिलाओं को बस किराये में छूट देने का निर्णय कैबिनेट का है। माननीय हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश की महिलाओं ने भी राहत की सांस ली है। इस फैसले से उन्हें अब पहले की तरह ही आधा किराया बसों में देना होगा।