हिमाचल रेडर न्यूज नेटवर्क। शिमला में एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ है जिसे जानने के बाद हर किसी को फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस की याद आ रही है।
दरअसल शिमला स्थित हिमाचल के सबसे बड़े इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर एमबीबीएस में दाखिला लेने जा रहा एक छात्र पकड़ा गया है। इससे जब पूछताछ की गई तो इसने सनसनीखेज खुलासे कर दिए।
पुलिस पूछताछ आरोपी छात्र कार्तिक ने बताया कि वह घर में इकलौता बेटा है। सभी चाहते हैं कि वह डॉक्टर बने। इसके लिए तीन बार परीक्षा दी लेकिन हर बार फेल होता गया।
अब चौथी बार नीट का एग्जाम दिया था। जब चौथी बार भी असफल रहा तो परेशान होकर फर्जी सर्टीफिकेट बना डाला। डॉक्टर बनना लक्ष्य था। नीट एग्जाम में 400 अंक आए थे और वह मैरिट लिस्ट से बाहर हो रहा था।
उसने फर्जीवाड़ा कर अपने अंक 400 से सीधे 560 अंक बना दिए। इसके आधार पर उसने आईजीएमसी शिमला में दाखिला लिया। दोस्तों को कोई पता नहीं चला। इसे भी यकीन हो चला था कि अब उसका सपना जैसे तैसे पूरा हो जाएगा।
लेकिन तभी मामले में आया बड़ा टिवस्ट, पकड़ा गया
दो महीने से इस फर्जीवाड़े का किसी को पता नहीं था। अटल मेडिकल रिसर्च विश्वविद्यालय नेरचौक मंडी ने मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए काऊंसलिंग करवाई थी जिसके आधार पर उसे आईजीएमसी में एडमिशन मिल गई।
आईजीएमसी में 3 बार काऊंसलिंग हुई। उसके बाद मॉपअप राऊंड हुआ। जब ब्रांच में सार्टीफिकेट को अपलोड कर रहे थे तो उसमें पाया गया कि इस रैंक में तो हरियाणा की छात्रा है।
उसके बाद तुरंत आईजीएमसी प्रशासन हरकत में आया और जांच शुरू की। जांच में सार्टीफिकेट फर्जी पाया गया। छात्र बिलासपुर के घुमारवीं का रहने वाला है और उसके पिता सीमैंट फैक्टरी में काम करते हैं।
बताया जा रहा है कि छात्र ने अपने मोबाइल पर ही फर्जी सर्टीफिकेट बनाया था। आरोपी ने पहले छात्रा का पीडीएफ फाइल में सर्टीफिकेट डाऊनलोड किया। उसके बाद एडिट कर उसमें अंक बदल दिए और सर्टीफिकेट तैयार कर दिया।