हिमाचल रेडर न्यूज नेटवर्क। आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। अगले 9 दिनों तक मां शक्ति की आराधना की जाएगी। शारदीय नवरात्रि के नौ दिन आस्था और भक्ति के साथ ही साधना का अवसर भी लेकर आते हैं।
मान्यता है कि देवी इन नौ दिनों में पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों को मनोवांछित फल देती हैं। इसलिए नवरात्रि माता भगवती की साधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है जो सुख.सौभाग्य प्रदान करती हैं।
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन हाथी की सवारी के साथ होगा। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल देश में सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
ऐसे करनी चाहिए पूजा
नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपके घर में सुख-समृद्धि लेकर आती हैं।
नवरात्र के पहले दिन माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
कलश स्थापना के साथ ही रोली, अक्षत, मोली, पुष्प आदि से देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें और भोग चढ़ाएं। अखंड दीपक प्रज्वलित कर माँ की आरती करें।
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश में सभी ग्रह, नक्षत्रों एवं तीर्थों का वास होता है। इनके आलावा ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, सभी नदियों, सागरों, सरोवरों एवं तेतीस कोटि देवी.देवता कलश में विराजमान होते हैं।
वास्तु के अनुसार ईशान कोण जल एवं ईश्वर का स्थान माना गया है और यहां सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा रहती है। इसलिए पूजा करते समय माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए। यद्धपि देवी माँ का क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण पूर्व दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते समय आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे।
शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है एवं दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से आराधक को शांति अनुभव होती है।
माता की पूजा करते समय कभी भी नीले और काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए, ऐसा करने से पूजा के फलों में कमी आती है। देवी माता को शक्ति का प्रतीक लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए पूजा करते समय शुभ रंग जैसे लाल, गुलाबी, केसरिया, हरा, पीला, क्रीम आदि पहन सकते हैं।
घट स्थापना का शुभमुहूर्त
इस बार प्रतिपदा तिथि का आरंभ 26 सितंबर, सोमवार सुबह 03 : 23 मिनट पर आरंभ होगी जिसका समापन 27 सितम्बर को सुबह 03 :08 मिनट पर होगा।
घटस्थापना का मुहूर्त प्रातः 06:11 से प्रातः 07:51 मिनट तक रहेगा। घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि 2022
दिन नवरात्रि दिन तिथि पूजा-अनुष्ठान
26 सितंबर 2022 नवरात्रि दिन 1 प्रतिपदा माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
27 सितंबर 2022 नवरात्रि दिन 2 द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर 2022 नवरात्रि दिन 3 तृतीया माँ चंद्रघंटा पूजा
29 सितंबर 2022 नवरात्रि दिन 4 चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा
30 सितंबर 2022 नवरात्रि दिन 5 पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
01 अक्तूबर 2022 नवरात्रि दिन 6 षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
02 अक्तूबर 2022 नवरात्रि दिन 7 सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
03 अक्तूबर 2022 नवरात्रि दिन 8 अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा अष्टमी पूजा
04 अक्तूबर 2022 नवरात्रि दिन 9 नवमी माँ सिद्धिदात्री दुर्गा महा नवमी पूजा
05 अक्तूबर 2022 नवरात्रि दिन 10 दशमी नवरात्रि दुर्गा विसर्जनए विजय दशमी
शारदीय नवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें
नवरात्रि सात्विक भोजन, साफ़-सफाई, देवी आराधना, भजन-कीर्तन, जगराता, मंत्र, देवी आरती प्याज, लहसुन, शराब, मांस-मछली का सेवन, लड़ाई, झगड़ा, कलह, कलेश, काले कपड़े और चमड़े की चीजें न पहने, दाढ़ी, बाल और नाखून न काटें
Source: amarujala.com