हिमाचल रेडर न्यूज नेटवर्क। कहते हैं पंखों से उड़ान नहीं होती, हौसले उड़ान भरने के लिए काफी हैं। ऐसा ही कर दिखाया है हिमाचल की इस बेटी ने। दुनिया के सबसे ऊंचे अल्ट्रा मैराथन खारदुंगला चैलेंज में धर्मशाला की दिव्या वशिष्ठ ने वेटरन कैटेगिरी में दूसरा स्थान पाया है।
नौ सितंबर को लेह में हुई प्रतियोगिता में दिव्या ने 72 किलोमीटर की कठिन खारदुंगला चैलेंज मैराथन में 50 प्लस आयु के वयोवृद्ध वर्ग में रेस को 12:48 घंटे पूरा किया। सुबह 3 बजे माइनस डिग्री तापमान में शुरू हुई मैराथन में दिव्या ने अपने हौसले के दम पर इस रेस को पूरा किया है।
प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रही दिव्या को ट्रॉफी और 20000 रुपये इनामी राशि से सम्मानित किया गया। धर्मशाला के लांझणी की दिव्या वशिष्ठ (53) ने इससे पूर्व 161 किलोमीटर 100 मील वाली अति दुर्गम गढ़वाल ऍनडुरंस रेस में भाग लेकर एक मात्र महिला विजेता बनी थीं।
मैराथन में पांच प्रतिभागियों के बीच केवल अकेली महिला प्रतिभागी थीं। दिव्या ने 31 घंटे और 08 मिनट में 9 डिग्री तक तापमान में दो पुरुष धावकों के बाद द्वितीय रनरअप के रूप में विजय प्राप्त की।
दिव्या की पढ़ाई सेंट ल्यूक स्कूल सोलन में हुई है। देश और विदेश में कई उच्च पदों पर कार्य कर चुकी हैं। दिव्या ने बताया कि बचपन से उन्हें कुछ अलग करने की चाह थी।
देश.विदेश में कई जगह रहने के बाद भी जब धर्मशाला आईं तो दौड़ने के जुनून को जिंदगी में शामिल किया। उन्होंने कई ट्रैक पर दौड़ने का अलग अनुभव पाया है। दुनिया के सबसे ऊंचे खारदुंगला चैलेंज को दूसरी बार फतह करने का कुछ अलग ही अनुभव रहा।
Source: amarujala.com