हिमाचल रेडर न्यूज़ नेटवर्क । गुजरात में रविवार शाम हुए मोरबी पुल हादसे में अब तक 132 लोग मारे गए हैं।कई लोग इस समय अस्पताल में भर्ती कराए जा चुके हैं। मौके पर लगाचार राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है।
जितने बड़े स्तर पर यह हादसा हुआ है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है।
बता दें कि दीवाली के एक दिन बाद ही इस पुल को मरम्मत के बाद जनता के लिए खोला गया था। इस पुल की मरम्मत में दो करोड़ रुपये की लागत की बात भी सामने आ रही है।
बता दें कि मोरबी पर बने इस अंग्रेजों के जमाने के ब्रिज के रखरखाव की जिम्मेदारी वर्तमान में ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा ग्रुप के पास है।
मिली जानकारी के मुताबिक, इस पुल की क्षमता करीब 100 लोगों की ही है। वहीं, इस पुल पर आने के लिए करीब 15 रुपये की फीस भी लगती है।
ऐसे में कहा जा रहा है कि दिवाली के बाद वाले वीकेंड पर कमाई के लालच में इस पुल को बिना फिटनेस जांच के ही खोल दिया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि घटना के वक्त करीब 400 से 500 लोग पुल पर थे। ऐसे में भारी भीड़ का बोझ पुल सह नहीं पाया और टूट गया।
इस सस्पेंशन ब्रिज को एक निजी फर्म द्वारा सात महीने के मरम्मत कार्य के बाद दीवाली के अगले दिन जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था।
मोरबी नगर पालिका के अधिकारी ने संदीपसिंह जाला ने बताया कि नवीकरण कार्य पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था, लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अभी तक (नवीनीकरण कार्य के बाद) कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।
इस हादसे में इतने लोगों की जान जाने के बाद सामने आ रही लापरवाहियों के बाद ओरेवा कंपनी और स्थानीय प्रशासन की भूमिका कटघरे में प्रतीत होती है। इन लापरवाहियों को देखते हुए ये बड़ा सवाल है कि अगर पुल की अधिकतम क्षमता 100 लोगों की है तो रविवार को हादसे के समय मोरबी के पुल पर 400 से अधिक लोग कैसे पहुंच गए?
साथ ही जब स्थानीय नगर पालिका ने मरम्मत के बाद कोई फिटनेस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया था तो किसके आदेश से पुल को दोबारा खोल दिया गया।