हिमाचल रेडर न्यूज़ नेटवर्क। आमतौर पर हिमाचल में जनवरी के महीने में बर्फबारी का दौर चरम पर होता है लेकिन साल 2024 में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। बर्फबारी तो दूर बारिश तक नहीं हो रही है।
किसान बागवान आसमान की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं। लेकिन ना बादल आ रहे हैं ना बारिश हो रही है। प्रदेश में 17 साल बाद जनवरी में बारिश और बर्फबारी के आसार बहुत कम हैं।
प्रदेश में पूरे महीने मौसम शुष्क बना रहने का पूर्वानुमान है। किन्नौर, लाहौल-स्पीति, चंबा, कुल्लू और शिमला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार उत्तरी ध्रुव और भूमध्य सागरीय क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र बनने से पश्चिमी विक्षोभ कमजोर हो गया है।
मैदानी जिलों में कुछ और दिन कोहरा पड़ना जारी रहेगा। ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, हमीरपुर सहित सोलन, सिरमौर और मंडी के कई क्षेत्रों में कोहरा पड़ने से सुबह और शाम के समय विजिबिलिटी (दृश्यता) कम रहेगी। जनवरी में तापमान भी सामान्य या उससे अधिक रहने की संभावना है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि इस वर्ष प्रदेश में 2007 की जनवरी जैसे हालात बन रहे हैं। ग्लोबल पैटर्न भी इसका बड़ा कारण है। जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की बहुत कम संभावना है।
उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के लिए अटलांटिक सागर से हवाएं आती हैं। उत्तरी ध्रुव की ओर से ठंडी और भूमध्य सागरीय क्षेत्र की ओर से गर्म हवा आने पर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है।
इस बार उत्तरी ध्रुव में हवा बेहद कम है और कम दबाव का क्षेत्रफल भी हावी है। कम दबाव के क्षेत्रफल के हावी रहने की वजह से हवाएं आगे की तरफ नहीं आ रही है। इसी वजह से प्रशांत सागर में भी तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया जा रहे है।
उन्होंने कहा कि बर्फबारी मानसून का एक कारक है। मानसून सीजन के दौरान बारिश अधिक या कम होने को लेकर अभी संभावना जताना जल्दबाजी होगी।