हिमाचल विधानसभा के चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी है। कांग्रेस और भाजपा अपने अपने गढ़ को मजबूत करने में जुटी हैं। इसी बीच कई नेता ऐसे भी हैं जो अभी से चुनाव मैदान में उतर गए हैं।
इनमें वीरभद्र सिंह के करीबी माने जाने वाले सोलन के एक नेता भी शामिल हैं। सोलन विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पलकराम कश्यप ने हल्के से अपनी उम्मीदवारी जता दी है।
पलकराम की इस दावेदारी से न सिर्फ कांग्रेस की बल्कि भाजपा की बैचेनी भी बढ़ने लगी है। पलकराम ने सोलन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
कहा कि वे चुनाव लड़ने को तैयार है। कहा कि बीते 10 साल से वो कांग्रेस सीट से मजबूत दावेदार रहे हैं। साल 2012 में दिल्ली में राष्ट्रीय कांग्रेस आलाकमान से टिकट लगभग तय हो चुका था, महज घोषणा की देरी थी कि ऐन वक्त पर कर्नल धनीराम शांडिल टिकट पर हाथ साफ कर गए।
तब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में उनके कामकाज की दुहाई काम आई। फिर वर्ष 2017 में भी जिंदगी में आखिरी बारी वोट और विपक्षी दल बीजेपी को करारी चोट के बहाने सहानुभूति का कार्ड खेलकर शांडिल प्रत्याशी घोषित हुए और जीते भी।
पलक राम कश्यप ने कहा है कि पार्टी में किसी से भी मेरा कोई विरोध नहीं है। लेकिन जिस तरह से नजरंदाज किया गया है इसको देखते हुए चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं। मुझे यदि टिकट नहीं मिलता तो मेरी बहु पर विश्वास जताया जाए।धनीराम शांडिल अब उम्रदराज हो चुके है और उन्हे सन्यास लेकर पार्टी सदस्यों का मार्गदर्शक बन जाना चाहिए। सीट से नए चेहरे को मौका मिलना चाहिए।
पलकराम सचिवालय से डिप्टी सचिव के पद से सेवानिवृत हुए है। धर्मपत्नी सत्या कश्यप बीसीसी अध्यक्ष रही है।